वित्तीय मानक
- चुकता पूंजी
इसके लिए किसी कंपनी की चुकता पूंजी निम्नतम 1 करोड़ रू. तथा अधिकतम 25 करोड़ रू. होनी चाहिए।
- नेटवर्थ (निवल संपत्ति)
अद्यतन अंकेक्षित वित्तीय कार्यपरिणामों के अनुसार कंपनी की नेटवर्थ कम से कम 1 करोड़ रू. (रिवैल्यूएशन रिजर्व को छोड़ कर) होनी चाहिए।
- ट्रैक रिकॉर्ड
पिछले तीन वित्तीय वर्षों में से कम से कम दो वर्षों में वितरण योग्य मुनाफे का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए (इन तीनो वित्त वर्षों की अवधि कम से कम 36 माह होनी चाहिए)। वितरण योग्य मुनाफे की गणना में एक्सट्राऑर्डिनरी इन्कम (कोई अतिरिक्त आय) को शामिल नहीं किया जायेगा।
अथवा
नेट वर्थ कम से कम 3 करोड़ रू. होनी चाहिए।
अन्य शर्तें
- पब्लिक शेयरधारित
पब्लिक शेयरधारिता, सिक्यूरिटी कॉन्ट्रैक्ट (रेग्यूलेशन) रूल्स,1956(एससीआरआर), सिक्यूरिटी कॉन्ट्रैक्ट (रेग्यूलेशन) रूल्स,1957(एससीआरआर) तथा लिस्टिंग एग्रीमेंट के नियमों के अनुरूप होनी चाहिए। पब्लिक शेयरधारकों की निम्नतम संख्या 50 होनी चाहिए।
- डीमैट स्वरूप में ट्रेडिंग की अनिवार्यता
पब्लिक शेयरधारिता का निम्नतम 50% डीमैट स्वरूप में होना अनिवार्य है।
- लिस्टिंग
कंपनी को किसी मान्यता प्राप्त एक्सचेंज में सूचिबद्ध होना चाहिए।
खुलासा
- सूचना ज्ञापन
कंपनी एक्ट 1956 की अनूसूचि II में दिया गया सूचना ज्ञापन, जो कंपनी सचिव/प्रबंधनिदेशक के प्रमाणन के अधीन होगा।
स्थानांतरण
कंपनियां बीएसई एसएमई प्लेटफार्म पर लिस्टिंग के दो वर्ष पूरा करने के बाद मेन बोर्ड में स्थानांतरण के लिए नये सिरे से आवेदन कर सकती हैं, इसके लिए उनको मेन बोर्ड में लिस्टिंग से संबंधित मानकों को पूरा करना होगा।
मार्केट मेकर
- बीएसई एसएमई प्लेटफार्म पर लिस्टिंग की तिथि से निम्नतम 3 वर्ष की अवधि के लिए कम से कम एक मार्केट मेकर की नियुक्ति की जायेगी।
- बीएसई एसएमई के प्लेटफार्म पर कंपनी की लिस्टिंग की तिथि को मार्केट मेकर के पास कंपनी की इश्यू साइज के कम से कम 5% की धारिता होनी चाहिए।
- इश्यू का मार्केट मर्चेंट बैंकर एक्सचेंज के बीएसई एसएमई प्लेटफार्म पर मार्केट मेकर के रूप में पंजीकृत सदस्य के माध्यम से निरंतर मार्केट मेंकिंग की जिम्मेदारी लेगा।
नोट
बीएसई एसएमई प्लेटफार्म पर स्थानांतरण के लिए शेयरधारकों की मंजूरी लेते समय कंपनी को निम्नलिखित औपचारिकतायें पूरी करनी होंगी
- शेयरधारकों के लिए जारी की जाने वाली नोटिस में इस तथ्य का उल्लेख करना होगा कि बीएसई एसएमई प्लेटफार्म पर स्थानांतरण के परिणास्वरूप, उनके द्वारा धारित शेयर ऑड लॉट बन सकते हैं तथा वे इनको मार्केट मेंकिंग की अवधि के दौरान एक ट्रेंच में सिर्फ मार्केट मेकर को ऑफ लोड कर सकेंगें।
- कंपनी अपनी प्रतिभूतियों को उन सभी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों से असूचिबद्ध करवाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी प्राप्त करेगी, जहां पर वह सूचिबद्ध है।
- बीएसई के एसएमई प्लेटफार्म पर लिस्टिंग के लिए अंतिम मंजूरी मिल जाने पर कंपनी अपनी प्रतिभूतियों को उन सभी मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों से असूचिबद्ध करने की प्रक्रिया पूरी करेगी जहां पर वे सूचिबद्ध हैं।
- कंपनी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज द्वारा जारी पुष्टिपत्र सब्मिट करेगी, जिसमें इस बात का उल्लेख होगा कि
- कंपनी की संपूर्ण जारी पूंजी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबद्ध है।
- कंपनी के खिलाफ निवेशकों की कोई भी शिकायत लंबित नहीं है।
- कंपनी लिस्टिंग एग्रीमेंट,सेबी रेग्यूलेशनों/परिपत्रों,एससीआरए तथा एससीआरआर का अनुपालन कर रही है।
- लिस्टिंग के लिए प्रस्तावित प्रतिभूतियां निलंबित नहीं हैं।
- कंपनी को बोर्ड फार इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआईएफआर) के लिए रिफर नहीं किया गया है।
- कंपनी के खिलाफ कोई भी ऐसी समापन अपील दाखिल नहीं है, जिसको अदालत द्वारा स्वीकार कर लिया गया हो अथवा किसी लिक्वीडेटर की नियुक्ति नहीं की गई है।
- किसी कंपनी, अथवा उसके प्रमोटरों अथवा निदेशकों के प्रतिबंधित किए जाने अथवा सेबी या किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज द्वारा इनके खिलाफ किसी अनुशासनात्मक कार्यवाही की स्थिति में प्रतिबंध की अवधि की समाप्ति के बाद कम से कम तीन वर्षों की अवधि व्यतीत होनी चाहिए ।
- कंपनी के पास अपनी वेबसाइट होनी चाहिए।
अपवाद
ऊपर दिए गये प्रावधान निम्नलिखित स्थितियों में लागू नहीं होंगे
- ये शर्तें उन कंपनियों पर लागू नहीं होंगी जो किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबद्ध हैं किंतु फर्दर पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) के माध्यम से सूचिबद्ध होना चाहती हैं। इन स्थितियों में एक्सचेंज के आईपीओ नियम लागू होंगें।
- ये शर्तें ऐसी कंपनियों पर लागू नहीं होंगी जो मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में सूचिबद्ध हैं तथा एक्चेंज द्वारा सेबी (डिलिस्टिंग ऑफ सिक्यूरिटीज) गाइडलाइन,2003 अथवा सेबी (डिलिस्टिंग ऑफ इक्विटी शेयर) रेग्यूलेशन,2009 के तहत अनिवार्यतः असूचिबद्ध कर दी गई हैं।
ऐसे मामलों में कंपनियां ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) अथवा फर्दर पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के प्रॉस्पेक्टसों के माध्यम से लिस्टिंग के लिए आवेदन कर सकती हैं।